*301 सतसंगत एक अमर जड़ी है।। 124

सतसंगत एक अमर जड़ी है।।
जो कोई आवे सतसंगत में उनको खबर पड़ी है।।

नरसिंह जी सत्संग की पीपा जी की नाम पर बात अड़ी है।
छप्पन करोड को भरो मालडा, आया आप हरि है।।

पहलाद सत्संग की श्रीपद की, नाम पर बात अड़ी है।
खंब पाड़ हिरणाकुश मारा, आया आप हरि है।।

लोहा सत्संग की काट की जन्म जहाज तरी है।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, ना तो बात अड़ी है।।

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