*843 मुझे क्या काम दुनिया से विरह में मैं दीवाना हूं 88।।
मुझे क्या काम दुनिया से, विरह में मैं दीवाना हूं।
प्यार की खोज में निशदिन फिरा जंगल पहाड़ों में।
पता मुझको नहीं पाया बहुत दिन से हिराना हूं।।
यह जब नेम तप भारी उसे मिलने के लालच में।
मिला दर्शन नहीं मुझको गमि में मैं समाना हूं।।
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