*579 काल गति बलवान साधु काल गति बलवान 279।।

काल गति बलवान साधु काल गति बलवान।।

बड़े-बड़े पृथ्वी के राजा प्रियव्रत सगर समान रे।
सभी मिले धरने के माही रहा ना एक निशान रे।।

अर्जुन भीम सेन से जोधा जिनके अचरज बाण रे।
सो भी कॉल किए वश अपने, छूटा सब अभिमान रे।।

योगी पीर पैगंबर भारे, साधक सिद्ध सुजान रे।
जीत सके नहीं कॉल बली को छोड़ गए सब प्राण रे।।

इस दुनिया में रहना ना ही यह निश्चय कर जान रे।
ब्रह्मानंद छोड़ सब चिंता सुमरो श्री भगवान रे।।

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