*500 मुसाफिर क्या सोवे अब जाग 228।।

मुसाफिर क्या सोवे अब जाग।।
इन वृक्षों की स्थिर नहीं छाया देख लुभाया बाग।
इस सराय में रहना नहीं क्यों करता है राग।।
यह सब चोर लगे संग तेरे इनसे बचकर भाग।।
ब्रह्मानंद देर मत कीजे, अपने मार्ग लाग।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35