*935 मेरे मन अब तो समझ के चाल 257।।

मेरे मन अब तो समझ कर चाल।।
बाल्य गयो जोबन बीतो श्वेत भये सब बाल।
जो ना तजे तूं इन विषयन को आन छुडासी काल।
जाना दूर मुसाफिर तुझको पास नहीं कुछ माल।।
ब्रह्मानंद मिलने के कारण छोड़ जगत जंजाल।।

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