*312 दर्शन बिन जियरा तरसे रे।।128

दर्शन बिन जियरा तरसे रे मेरे नैन धार जल बरसे रे।।

मैं पापन अवगुण की राशि कैसे करें प्रभु निजी की दासी।                                       काया कपट बरस रे।।
पतित उदाहरण नाम तुम्हारा दीजे मुझको चरण सहारा।
                                   देखो दया नजर से रे।।
शरण पड़ी में आए तुम्हारी माफ करो अब भूल हमारी।
                                भूजा गहो निज कर से रे।।
तुम बिन और ना पालक मेरा ब्रह्मानंद भरोसा तेरा।
                                   विनती करूं जिगर से रे।।

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