*651 अब तो तजो नर रति विषयन की 197।।
अब तो तजो नर रति विषयन की।।
करले फिकर परलोक गमन की।।
बालपणा जिम गई जवानी सुंदर काया भई प्राणी।
तदपी मिटे नहीं लालच मनकी।।
जरा दूत यमराज पठाया रोग भोग संघ लेकर आया।
मूर्ख आशा करें क्या तन की।।
स्वार्थ ऐड करें सब प्रीति सकल जगत की है यह रीति।
छोड़ ममता धन धाम सुतन की।।
ब्रह्मानंद वचन सुन लीजे निशदिन हरिचरण चित दीजे।
पाश कट तेरी जन्म मरण की।।
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