*249 दीन दयाल भरोसे तेरे।। 96
दीन दयाल भरोसे तेरे।
नाम जपो जी ऐसे ऐसे।।
ध्रुव प्रहलाद जपो हरी जैसे।।
जा तिस भावे, ता हुकम मनावे।
इस बेड़े को पार लगावे।।
गुरुप्रसाद ऐसी बुद्धि सामानी।
चूक गई फिर आवन जानी।।
कहे कबीर भज शारंगपानी।
उरपार वार सब एक को दानी।।
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