*270 बुडली सुमिरन करले भक्ति में सीर।। 108

बूडली सुमिरन करले हो भक्ति में सीर।।
गुरु अपने की बन जा भिखारी, नाम जपो सब कटे बीमारी।
बिन अमृत सूखे केसर क्यारी, 

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