*857 भजन बिना बने खवारी रे जगत में सदा नहीं रहना।।

भजन बिन बने खवारी रे जगत में सदा नहीं रहना।।

ना कुछ लाया ना संग जाता कर्मोंका कर्जा जीव चुकाता।
             जैसा करे वैसा फल पाता सदा करारी रे।।

भूल करें तो फिर पछतावे फिर यह वक्त हाथ नहीं आवे।
              चोरासी में धक्के खावे संकट भारी रे।।

उमर रूपी पूंजी लाया, इसका ना कुछ फायदा ठाया।
             चोर ठगों ने लूटी माया बना भिखारी रे।।

सतगुरु ताराचंद कहे सत्य वाणी, नाम भजे से कटे खवारी।
         कह रूपचंद ले नाम निशानी, हो नैया पार तुम्हारी रे।।

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