*259 नजर भर देख ले मुझको शरण में तेरी आया हूं।।101

नजर भर देख ले मुझको, शरण में तेरी आया हूं।।

कोई मात पिता बंधु, सहायक है नहीं मेरा।
काम और क्रोध दुश्मन ने बहुत दिन से सताया हूं।।

भुला कर याद को तेरी, पड़ा दुनिया के लालच में।
मायाजाल में चारों तरफ से मैं फंसाया हूं।।

कर्म सब नीचे है मेरे तेरा नाम है पावन।
तार संसार सागर से, मैं भंव जल में डूबाया हूं।।

छुड़ा के जन्म बंधन से शरण में राख ले अपनी।
ब्रह्मानंद ले मन में, यही बसआश आया हूं।।

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