*102 राम रसायन पाई जिन्होंने राम रसायन पाई रे।। 34
राम रसायन पाई जिन्होंने राम रसायन पाई रे।।
अन धन का कोई पार ना पावे, दिन दिन होत सवाई रे।।
सब सेठों में सेठ वही, का राजा धनपत राई रे।
सब देवों में देव वही, जो जिसकी मग पे छाइ रे।।
हिंदु कहै म्हारा राम बड़ा है मुसलमान खुदाई रे।
ईसाई कहे मेरा ईशा बड़ा है बढ़ा दिया बनाई रे।।
बहुत कहे यह धर्म बड़ा है, लखता लखा ना जाई रे।
वेद कितेब भागवत गीता, पढ़-पढ़ धक्के खाई रे।।
घीसा संत रसायन बख्से, जीता के घट माही रे।
जो रसायन से छीका चाहवे, तन मन धन नटवाई रे।।
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