*502 सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है।।229।।
सोने वाले जाग जा, संसार मुसाफिर खाना है।।
मुट्ठी बांधे आया जग में हाथ पसारे जाना है।।
कोई आज गया कोई कल गया कोई चंद रोज में जाएगा।
जिस घर से निकल गया पंछी उस घर में फिर नहीं आना है।।
सुत मात पिता बंधु नारी, धन धाम यही रह जाएगा।
यह चंद रोज की यारी है फिर अपना कौन बेगाना है।।
कह भिक्षु यति हरि नाम जपो फिर ऐसा समय न आएगा।
पाकर कंचन सी काया को, फिर आंख मींच पछताना है।।
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