*254. रट ले हरि का नाम रे बेरी।। 98
रट ले हरि का नाम रे, बैरी छोड़ दें उल्टे काम रे।।
जिस दौलत पर तुझे है भरोसा जाने कब दे जाए धोखा।
ये लुट जाए सरे आम रे।।
देख जो हंसता सुंदर काया चिता बीच जब जाएगा जलाया तेरा मास रहे ना चाम रे।।
पाप करें और गंगा नहाए इससे तूं अपने पाप छुड़ाएं।
तेरा होगा बुरा अंजाम रे।।
मथुरा और काशी जाने से भजन कीर्तन करवाने से।
तुझे नहीं मिले आराम।।
रामनाम से तूनिकला बचकर मोह मायाके जाल में फस कर। हो गया आज गुलाम रे।।
पता लगा ले ब्रह्म ज्ञान का ब्रह्मानंद तू इसी रे नाम का।
ढूंढ ले ठीक मुकाम रे।।
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