*248. भाई तू राम नाम चित् धरता।। 95
भाई तु राम नाम चित्त धरता। तेरा अगला जन्म सुधरता।।
यम की त्रास सभी मिट जाती भक्त नाम तेरा पड़ता।।
तेंदुल घृत समर्पित गुरु को, संता परोसा करता।।
होता नफा साधु की संगत, मूल गांठ नहीं टरता।
सूरदास बैकुंठ पेंठ में, कोई ना फैट पकड़ता।।
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