*239. भजन करो भाई रे एसो तन पाए के।। 92

भजन करो भाई रे ऐसो तन पाए के।
नहीं रहे लंकापति रावण दुर्योधन राय रे।।
मात-पिता सुत बंधु भाई, आ यमराज पकड़ ले जाए रे।।
लाल खम्भ पर देत ताड़ना, बिन सतगुरु कौन सहाय रे।।
धरमदास की अरज गोसाई नाम कबीर कहो गुरु आए रे।।

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