*231. करो हरी का भजन या मंजिल पार हो जाएगी।। 90
करो हरी का भजन या मंजिल पार हो जागी।
आगे बरतन खातिर पूंजी त्यार हो जागी।।
इस दुनिया में आकर बंदे कर लीजिए दो काम।
देने को टुकड़ा भला लेने को हरी नाम।
राम नाम की भूल से बस दुख हैं आठो याम।
उठत बैठत चलते-फिरते कभी न भूलो राम।
गफलत में काया तेरी बेकार हो जागी।।
चाहिए था कुछ ब्याज कमाना आन गंवाया मूल।
जो जागा साहूकार पर तो पल्ले पड़ेगी धूल।
सहम विषयों में पागल हो के खोया जन्म फिजूल।
खाली हाथ जा यहां से चलकर जा आई बाई भूल।।
गूंगी होके जीभ तेरी लाचार हो जागी।।
आशा तृष्णा ममता जज 2 दिन का मेहमान।
नकली खेल मदारी का कदे कहावे हैवान।
मनसा वाचा कर्मणा से ला हरी वचनों में ध्यान।।
थोड़ी सी हिम्मत में खुश हो फिर सुने भगवान।
करले हिम्मत मेहनत में सुम्मार हो जागी।।
राम नाम के सुमिरन में जो थोड़ा सा रुख हो।
विघ्न क्लेश मिटें सारे नहीं तनमन में दुख हो।
अंत गता सो मता कहे जो हरि नाम मुख हो।
चंद्रभान संत बतलावें, आगे का सुख हो।
हरि नाम की नाव तेरी आधार हो जागी।।
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