*230. हरि ओम के भजन बिना तूं।। 89
हरिओम के भजन बिना तूं क्योंकर पार उतर जागा।
मूरख बंदे के कहेगा जब परमेश्वर के घर जागा।।
मोह माया में फस के बंदे हीरा जन्म फिजूल गया।
ब्याज कमाओ आया था, तेराअसली धन मिल धूल गया।
साहूकार की डिग्री आवे, घरां पुलिसिया फिर जागा।।
यम के दूत बांधने पेटी तेरे पेट के धोरे के।
कुनबा खड़ा दोहाथर्ड मारे, जब निकलेगा गोरे के।
जिस बेटे में मोह कहना था, फोड़ तेरा वह सिर जागा।।
गैल मरने की हां भर रह थी वह चूड़ी फोड़ खड़ी हो जा।
एक साल तक रोटी काढे करके तोड़ खड़ी हो जा।
एक बहु बोली कील गाड़ दो ना मेरा छोरा डर जागा।।
सतगुरु ज्ञान विचार बिना तेरा बनता कोई हिमाती ना।
स्वार्थ कारण तेरा मेरी कोई सच्चा साथी ना।
यूं कहेंगे जो मरता कोन्या, तेरा आपे पेटा भर जागा।।
कृष्ण लाल राम रट प्यारे वही तेरा हिमाती सै।
झूठ बात मेरी एक बता दो जो थारे में पंचायती सै।
फिर गिरावड़ जा दिखें तु ऐसा सूर्य नगर जागा।।
Comments
Post a Comment