*226. गुरु का शर्ना ले भाई।। 87
गुरु का शरणा ले भाई थारी बिगड़ी बात बन जाए।।
एक दिन बिगड़ी पिता पुत्र के नाम लेन दे नाही।
खंभ पाङ हरीनाकश्यप मारा भगत को लिया बचाई।।
ध्रुपद सुता को गुरु मिले थे सभा बीच बुलवाई।
दुशासन यो चीर उतारे रह गई मान बड़ाई।।
राणा जी ने जुलम कमाया, काढ़ी मीराबाई।
जहर के प्यार ने भर भर प्याए, वह कभी मरन ना पाई।।
नामदेव को गुरु मिले थे मुर्दा गऊ जीवाई।
सैन भगत के संशय में थे आप बने हरि नाई।।
रविदास को गुरु मिले थे जल पर शीला तराई
रामानंद गुरु दे दिया हेला, सतलोक दर्शाई।।
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