*214. दर्शन सदा राम मोहे दीजिए।। 84

दर्शन सदा राम मोहे दीजे।।
चरण कमल के शरणों रखो कभी जुदा नहीं कीजे।।

कृपासिंधु गोविंद गोसाई भक्ति बिना तन छीजे।
अंतर्गत गांव तुम्हारा यही मौज कर दीजे।।

नैना मारे गए चकोरा नींद मुख दीजे।
पर्दा खोल भान ओए मिलिए जब यह प्राण पतीजे।।

चेतन चोला रतन अमोला नरक कुंड में भीजें।
नित्यानंद महबूब घुमाने अर्स परस रस पीजे।।

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