*203. हो विदेशी प्यारे मेरी अखियां जोह वें बांट।। 80
हो विदेशी प्यारे मेरी अखियां जोहवें बाट।।
हम परदेसी तुम परदेसी म्हारे प्रेम उचाट।।
खबर हमारी लई ना मुरारी हम अटके औघट घाट।।
नेह नगर से चलकर आए प्रेम बनज री हाट।।
तन मन शीश साईं ले लीजे, करो प्रीति सांट।।
नित्यानंद महबूब गुमानी, म्हाने मीलियो खोल कपाट।।
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