*202. सुख के सागर प्यारे हमारी सुध लेना।। 80

सुख के सागर प्यारे हमारी सुध लीजे।।
          सुख के देने वाले हमारी शुद्ध लीजे।।
तन मन धन सब पर तुम्हारे जो चाहे सो कीजे।।
छोड़ देऊं तो जगह नहीं कोई, बांह गहू तो दीजे।।
प्रेम की बूंद नैन झड़ लावे, सुरंगी चुनरिया दीजे।।
नित्यानंद महबूब गुमानी सन्मुख दर्शन दीजे।।

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