*198. म्हारे प्रेम संदेशी गुरु आए।। 78

म्हारे प्रेम संदेशी गुरु आए।।
मंदिर भयों उजास सखी री मंगल वचन सुनाएं।
प्रीत बदरिया उमड़ घुमड़ कर नगर माही झड़ लाए।।
पिया मिलन को आगम उपजा, मोतियन मंदिर छाए।।
बरसे क्षीर झड़ लाए कर, नीपजे रतन सवाए।।
नित्यानंद नूर निशानी हम ऐसे सुख दर्शाए।।

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