*196. प्यास दरस की लग रही।। 78
प्यास दरस की लग रही कोई रमता राम मिलावे हे।
तेरे होय रहूं चरणों में जो कोई अभी मिलावे हे।।
नैनों में ना भावे सजनी सो अब प्रेत बतावे हे।
सेवा करो एक मन हो ठाडा अब तो हरी घर आवे हे।।
अब तो लगन लगी साहब से, या हे छवि मन भावे हे।
कारज करक सभी तजदो पल-पल जहान लगावे हे।।
विराट रूप की दर्शन दारू वेद मिले तो प्यावे हे।
तेर मेर कोई ना हो जोत में जोत मिलावे हे
स्वामी घुमाने राम हमारे पलक छोड़ ना जावे हे।
नित्यानंद मनमोहन हिलमिल सब दुख दूर हटावे हे।।
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