*193. नमो निरंजन नमो निरंजन।। 77

नमो निरंजन नमो निरंजन नमो निरंजन स्वामी।
सरदार विराजो मेरे उर में अवगत अंतर्यामी।।

निरंकार निर्लेप निरंजन निर्गुण सरगुन नामी।
चिदानंद चैतन्य चाहूं दिशा परम गुरु प्रणामी।।

सर्वांगी संपूर्ण सब घट संत रूप सुख धामी।
जगन्नाथ जगपति जगजीवन तू ही कृष्ण तू ही रामि।।

व्यापक विष्णु विश्व बहुरंगी व्याप रहे सब ठामी।
अगम अपार अधम अविनाशी अटल रुप वरियामी।

मनमोहन मनहरण मनोहर गुप्त गरुड़ के गामी।
गुनातीत गोविंद गोसाई निर्मल नेह नित कामी।।

तेजपुंज पारस परमेश्वर तू महबूब गुमानी।
नित्यानंद झड़ लगी मेहर  की, हो रही आहमी साहमी।।

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