*189. मैं ना लड़ी मेरा पिया डिगर गया जी।। 74

मैं ना लड़ी मेरा पिया डिगर गया जी।।
आठकोटडी दस दरवाजा बेराना कौन सी शक्ल खुली रही।।
ना मैं बोली ना बतलाइ, ओढ़ के दुपट्टा मैं तो सोती रही।।
पांच जेठ पच्चीस  दो, बेरा ना कौन सी ने कही।।
कहे कुमाली कबीरा थारीबाली इसी ब्याही से कुंवारी भली।।

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