*187. मेरे मालिक बिना दर्द कालजे होय।। 74
मेरे मालिक बिना दर्द कालजे होय।।
दिन नहीं चैन रेन नहीं निद्रा तड़प तड़प गई सोए।
आधी सी रात का पिछला बैरवा नैन गंवाए रो रोए।।
पांच चोर मेरे पीछे पड़ रहे, इनसे मेरा कुछ ना होए।।
कथगी कमाली कबीरा थारी बाली जी गुरु मिले सुख होय।।
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