*167. सजनी घट के परदे खोल।। 66

सजनी घट के परदे खोल।।

भूल भरम में सब जग बहता कालक्रम की पड़ी है रोल।
विषय वासना तक जितनी प्यारी यह है भारी पोल।।

मल आक्षेप आवरण तारो इनका चढ़ा है खोल।
राम रसायन ले सतगुरु का नाम लागे विष का मोल।।

आंख कान को बंद करके मुंह से कुछ ना बोल।
अंतर्मन में आपा टोह ले, काहे जगत रही डोल।।

सतगुरु ताराचंद की शरण गहो रे पाओ नाम अनमोल।
कंवर शरण सतगुरु की पाके निर्भय करें कि किलोल।।

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