*628. धर्म-कर्म दिए छोड़ लोभ ने तो।। 308

धर्म-कर्म दिए छोड़ लोभ ने तो गर्स लिए।।
वेद शास्त्र ऋषि मुनियों की मर्यादा दई तोड़।
                   तोडेंगे तोड़न लागे जोड़।।
बड़े गवाही खाए मिठाई झूठी ले ले ओड।
काम करें पशुओं के मारे गाड़ी में घले ना मरोड़।।

दाने घरां खान ने कोन्या, चाहिए लाख करोड़।
छोड़ ढूंढ कर लूंगा ज्यादा मिले ना सोवन ने ठोड़।।

अमृत बाहवे फल जहरीले पीवे ब्रुस निचोड़।
आत्मानंद मोहे अचरज आवे कैसे निभेेगी उनकी होड़।।

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