*601. लाखों सिर दे रखें अब तक यमराजा की भेंट तूने।।

लाखों सिर ध्यान रखें अब तक यम राजा की भेंट तने।
एक शीश ना दिया आज तक सतगुरु चरणों टेक तने।।

भाई जब से आया इस दुनिया में उल्टा मुड़के गया नहीं।
जन्म मनुष्य का पाकर के फिर खुद पर आई दया नहीं।
    काम करा कुछ नया नहीं भरा पशु की तरीयां पेट तने।।
लख चौरासी फिरा भी, आवा और गमन के मां।
बिन सतगुरु नानिकल सके ऐसा फंसारहा कजरी बन के मां।
   रह के लुगरा पन के मां सब कर दिया मलिया मेट तने।।
काल जाल में फंस रहा तूने खुद की करी पीछान नहीं।
भूत पिशाच बहुत से पूजा उस मालिक की जान नहीं।
    भाई बदली मंकी बाण नहीं ना किया सत्संग से हेत तने।।
सतगुरु संत संगत में कदे देखा ना तूने जाकर के।सुगरा बन ना करी कमाई नाम दवाई खा कर के।
     मानुष चला पाकर के भाई काटी ना अलसेट तने।।
चिड़िया चुग जाए फसल तेरी तू बचा अपना खेत लिए।
सतगुरु वेद प्रकाश कहे अब चेता जा तो चेत लिए।
   भाई कर सतगुरु से हेत लिए मिल जा अमरापुर देश तने।।

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