*507. साईं के नाम बिना नहीं निस्तारा।। 231

साईं के नाम बिना नहीं निस्तारा जाग जाग नर क्यों सोता।
जागत नगरी में चोर नहीं आवे जख मारेगा यमदूता।।

जप कर तप कर करोड जतन कर काशी में जा क्रोत लिया।
बिना मरे तेरी मुक्ति ना होवे मरजा योगी अवधूता।।

जोगी हो फिर जटा बढ़ा ली अंग रमा लेई भभूता।
दमड़ी कारण काया फूंक लई, योग नहीं ये तो हठ झूठा।।

जिनकी सुरती लगी राम में काल जाल से वह ना डरता।
अधर अणी पर आसन रखें शो जोगी जन अवधूता।।

जागा सो नर जुग जीता सौवतड़ा नर चोरासी।
रामानंद का कह कबीरा मंजिल मंजिल जा पहुंचा।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35