*351. रे दिवाने बंदे कौन है तेरा साथी।। 146

रे दीवान ए बंदे कौन है तेरा साथी।।

जैसे बूंद उसका मोती ऐसे काया जाती।
कल से मनवा न्यारा हो जा पड़ी रहेगी माटी।।

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