*288. भाग्यवान घर होवे साधो का सत्संग।। 120
भाग्यवान घर होवे, साधुओं के सत्संग।।
ब्रह्म मुहूर्त में उठ जागे, कर स्नान भजन में लागे।
नुगरा पड़ कर सो वे।।
संत भगत का हो गया आना, प्रेम प्रीत से करते हैं गाना।
वह दुतिया दुरमति धोवे।।
शब्द कीर्तन हॉट आनंदा, चोरासी का कट जाए फंदा।
वह अंतःकरण मल धोवे।।
चीचड़ लिपटा थन के आन जी, दूधछोड़ लगाखून खान जी।
न्यू नुगरा अवगुण टोहवे।।
किशन देव सतगुरु समझावे, जो प्राणी सत्संग में आवे।
वह फेर जन्म नहीं होवे।।
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