*286. सत्संग साथ तीरथ कोई नहीं।। 119

सत्संग साथ तीरथ कोई नहीं, चेतो रे भाई।
सत्संग तो धोबी का घाट है जो मन का मैल धुलाई।।

अमृत वचन वर्षा हो रही पी पी के तृप्ति आई।
जुगन जुगन की मेली सुरतिया सत्संग से उज्जवल हो जाई।।

बाल्मिक भी उभरे सत्संग से गणिका सदन कसाई।
कर्मा कुबरी वैश्या भांडली और तर गई मीराबाई।।

तीरथ नहाए एक फल है यहां सत्य का फल पाई।
सतगुरु ताराचंद समझावे कंवर ने सत्संग करो रे भाई।।

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