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सत्संग में आकर पापी पार हो जाते।।
बाल्मिक बुरे काम करें थे लूट लूट धन खाते।
सप्त ऋषि वन खंड में मिल गए, सत मार्ग दिखलाते।।
कुब्जा कुंजी सदना मंडली धन्ना भगत कहाते।
संतों की शरणागति होकर भीष्म भी सुख पाते।।
जैसे नेजू घिसे पत्थर पर न्यू ही पाप कट जाते।
काट के संग में लोहा ला के जल के बीच तराते।।
नामदेव छिपी लखमा माली कालू कहार कहाते।
अजामिल सूट हेतू पुकारे, वो बैकुंठ को जाते।।
लोहे से कंचन बन जाता पारस संग मिलाते।
कह रविदास सुनो भाई साधु सत्संग सरने जो आते।।
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