*275. सत्य नाम का सुमिरन करले।। 112
सत्य नाम का तूं सुमिरन करले।
रोज थोड़ा थोड़ा साहेब का भजन करले।।
जाग रे मुसाफिर जग दो दिन का मेला है।
रात भर का डेरा है सवेरे चले जाना है।
छोड़ मायाजाल सत्संग कर ले।।
मात-पिता भाई बंधु काम ना आएंगे।
महल खजाने तेरे यही रह जाएंगे।
सच्चे पथ पर तू गमन कर ले,
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