*273. मत अवसर खोवे हे।। 110
मत अवसर खोवे हे, ना जागी बाजी हारी।।
बड़ी मुश्किल से नर देही पाई इस में अमृत झारी।
अमृत पीओ जुग जुग जियो या आई पीवन की बारी।।
अमृत छोड़ जहर मत पियो कहते संत पुकारी।
श्राद्ध की संगत गुरु की सेवा करके छोड़ होशियारी।।
प्यावन वाला अंदर बैठा पियो नर और नारी।
छिन छिन पल-पल समय जात है काहे देर लगा रही।।
सतगुरु वेद प्रकाश कहते हैं पियो कटे बीमारी।
जन्म मरण का संशय मिट जा, मानो बात हमारी।।
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