* 269. भाई साधन करले पड़े भजन में सीर।। 108

भाई साधन कर ले पड़े भजन में सीर।।

सूरत शब्द को ऐसे पकड़ो जैसे मछली नीर।
हंसा बन के सार छांट ले मिले समुद्र सीर

सतगुरु जी के शरण में होले टूटे भरम जंजीर।
देख पुतली उलट गगन को, हो आनंद बहिर।।

सब संतो का एक निशाना जाने कोई रणधीर।
काट छांट का त्यागन कर दे हो जा असल फकीर।।

सतगुरु हो के सत्संग में जाकर, खाई शब्द की खीर।
कह ताराचंद तुम दाग ये धोले, मिल गया मनुष्य शरीर।।

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