*627 उम्हाया मन उस घर का जागी पिया के देश।।627।।
627
ऊमहाया मन उस घर का जाऊंगी पिया के देश।।कब मेरा साजन सखी आए हे लेन ने।
देखूं मैं बांट हमेश।।
बहुत दिनो रही बाबुल घर याणी।
बीते हैं बहुत क्लेश।।
मेरा साजन सखी परम रूप है।
जिसने कहीं अलेख।।
घीसा संत करी गुरु कृपा।
जीता को दिया उपदेश।।
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