*225 हरि का ध्यान धरो भाई थारी बिगड़ी बात बन जाई।। 87

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हरि का ध्यान धरो भाई थारी बिगड़ी बात बन जाई।।

रंका तारे बंका तारे तारे सजन कसाई।
सुआ पढ़ावत गणिका तारी, तारी मीराबाई।।

दुनिया दोलत माल खजाना बढ़िया बैल चुराई।
जबर काल का डंका बाजे खोज खबर ना पाई

सच की भक्ति कर घट अंदर छोड़ कपट चतुराई।।


कहे कबीर सुनो भाई साधो सतगुरु विधि बताई।
यह दुनिया दिन चार दहाड़े रहो राम लो लाई।।



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