*852 मेरी धुन राम से लागी।।400।।
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मेरी धुन राम से लागी।यो संसार सपन का मेला दिल की दूर मत भागी।।
जन्म मरण का नहीं भरोसा मेरी सूरत सोवती जागी।।
स्वर्ग नरक बैकुंठ और दो जाके एक बार में त्यागी।।
तन से तर्क फर्क मार्ग हूं,अवगत में बैरागी।।
मगन व चढ गया गगन में मुरली अनहद बाजी।।
सजन सुजान प्राणों से प्यारे नित पर्ती खेले फागी।
नितानंद महबूब गुमानी जीय हजूरी जागी।।
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