*181 तू झीने मार्ग जाइए हो रंग रंगीला छैला बन्ना।।71
तू झीने मार्ग जाइए हो रंग रंगीला छैल ना बनना।।
मूल दवारे बंद लगाइए कौन में कौन मिलाइए हो।
इंद्री मुद्रा भाई बस करके फिर उस मार्ग जाइए हो।।
पांच तत्व तने पहले दरसे झिलमिल झिलमिल होती हो।
सूरत लगा चंद्रमा देखो जगमग जगमग होती हो।।
काया गढ़ ने छोड़के हनसा, सुनन शिखर जाइए हो।
सुन्न शेखर में पुरुष वैदेही उसके दर्शन पाइए हो।।
कहे कबीर झीने से झीना,2 हो कर रहीए हो
मन मोटाई मन से रोको धरमदास गुण गाइए हो।।
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