*850 यो कितना बड़ा झमेला।।399।।

                                 399
यो कितना बड़ा झमेला यह दुनिया भरम का मेला।
            किसी या दुनिया रे।।
कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी बन गया लाख करोड़ी।
                 यो संग चले ना धेला रे।।
चूग-चूग कंकर महल बनाया जो हंस रहन ना पाया रे।
                कब उड़ गया हंस अकेला रे।।
ना घर तेरा ना घर मेरा चिड़िया रैन बसेरा रे।
                 इस पर चढ़ना झमेला रे।।
शरण मछंदर गुरु गोरख वाणी ना कह रहा में बात पुरानी।
                 यो शब्द गुरु चित् चेला रे।।

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