*730 यो चोला अजब बनाया दर्जी का मरहम ना पाया।। 352।।

यो चोला अजब बनाया दर्जी का मरहम ना पाया।।
पांच तत्व की बनी गूदड़ी, हीरा लाल जड़ाया।।
पानी की सुई पवन का धागा, जीवत मास लगाया।।
रतन जतन का मुकुट बनाया, पुराण पुरुष ने एक पहनाया।।
                       यो तो अगम किसम का आया।।
कहे कबीरा सोई जन मेरा, करके देख नमेंरा।।

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