*424 लाडो मेंडकी हे, तू तो पानी में की रानी।। 183
लाडो मेंडकी हे तू तो पानी में की रानी।।
बगुला तेरा छोटा देवर उसको दे मुस्कानी।।
अंधे ने एक मिल गया पिंडा, फिर उनके सूत लाए।
इन गुरुओं की माला फेरे, खिल गए उनके बाने।।
चार चरैया मंगल गांवें, गूंगा ताल मिलानी।
फिर गधइयां नाचन लागे ऊंट विष्णुपद गानी।।
कहे कबीर सुनो भाई साधो यह पद है निर्वाणी।
इस पद की कोई करे खोजना मिट जाए आनी-जानी।।
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