*633 तेरा जीवन है बेकार गुरु ज्ञान के बिना।। 633।।

                            633
तेरा जीवन है बेकार गुरु ज्ञान के बिना।।
क्यों करता मेरा मेरी, यहां कौन चीज है तेरी।
जो बीत गई सो भतेरी।तेरी जिंदगी अधूरी रह जाएगी।                                                    कल्याण के बिना।।
क्यों करता है मनमानी संतो की बात नहीं जानी।।
तुम बन बैठा अभिमानी। फिर अंत समय पछताएगा।
                                            गुरु नाम के बिना।।
जो गुरु शरण में आगया, वह मोक्ष पदार्थ पा गया।
परमार्थ में हाथ बढ गया।नहीं कटे चौरासी तेरी बंदे।
                                            गुरु ध्यान के बिना।।
सतगुरु समनदास समझावे भूले को राह बतावे।
गया वक्त हाथ नहीं आवे, मेघ दास जी मत जाइयो।
                                           पहचान के बिना।।


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