*769 गुरुवर मेरा ये जीवन अब तो सवार दो।।329।।
जिस पथ के हो तुम राही उस पथ पर उतार दो।।
मोह राग में हूं अंधा भटका हूं बहुत दूर।
मेरे अंतर्मन को अपनी रोशनी उधार दो।।
मैं पड़ा हूं तेरे दर पर इस आस में ही कब से।
गुरुवर किसी दिन मुझको तुम ही पुकार लो।।
जीवन दिया प्रभु ने मैं अपना समझ रहा हूं।
कर आज उसका पूरा आशीष आधार दो।।
माटी की इस काया को मां बाप ने जिलाया।
मेरी सोई आत्मा को जगा एक बार दो।।
मैं पत्थर हूं मैं जगत में मेरा मोल कुछ नहीं है।
मुझ में भी कोई गुरुवर मुर्त निकाल दो।।
है अनंत मुझ में कमियां दुनिया है मुझको भूली।
ऐसा ना हो गुरुवर तुम भी बिसार दो।।
मैं बूंद की तरह हूं तुम हो विशाल सागर।
कभी गोद में बिठाकर मुझको भी प्यार दो।।
मेरी आंखों से बहता नीर यह कह रहा है।
तेरे चरणों में ही गिर कर मेरा उद्धार हो।।
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