*946 मन लोभी तू तो लूट गया रे संसार में।।432।।

                          432
मन लोभी तूतो लूटगया रे संसार में, जाने कब तू गुरुभजेगा।

अजगर लेटी पड़ी धरनि में वह भी पेट भरे।
अलल पंख बलवान जानवर दिन भर भूख मरे।।

सिरसागढ़ हरनंदी कहिए वा भी आश करें।
गुरु नाम पे नरसी चलने पल में भात भरें।।

रविदास जी सत के स्वामी नैया पार करें।
रामदास गुरु समनदास जी के चरणों में ध्यान धरें।।

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