*948 कोई राम राम कोई हरि हरि।।433।।

                               433
कोई राम राम कोई हरि हरि बकता है संसार।
                        मनवा रटा करो निराधार।।

जो जो करता देख जरा आंख खोल गुन ज्ञानी रे।
कॉल बली ने एक ना छोड़ा पल में कर दई घानी रे।
     परम संतो की एक ना मानी यो बकता मूड गवार।।

एक है तुम सुनियो साधो, भगत जगत में पूरा तूं।
कोई चेला बन के वचन मांग ले शब्द जपन का पूरा तू।
     खुद भी नूर जहूरा तो कर दो एक पल में पार।।

एक है तुम सुनो साधु सबसे ऊंचा ज्ञान तेरा।
कोई खोजी बनकर खोज पूछ ले ऐसा गुप्त निशान तेरा।
     थोड़ा सा उनमान तेरा यो रहना है दिन चार।।

गुरु परमानंद ने खोज बताई, मोज मगन के माही रे।
दासानंद तेरे दर का भिखारी प्रेम की धूनी लाई है।
    जोत से जोत मिलाई है हुआ भाव सागर से पार।।
     

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