*119 आया था नर भजन करण को खा गया गलती।। 42

आया था नर भजन करण को खा गया गलती।।

धरमराज तेरा लेखा मांगे बंदे रती रती।
बालापन में मन खेलन में माता की गोदी।।

जिसने नर्क छुड़ाया उसने, भूला फिरे कती।
नरक कुंड से निकल के तेरी फिर गई और मति।।

आई जवानी रंग छा गया, फेर फिर गई और मति।
विषयों के संग भोग भोग , तने ध्यान करा ना कती।।

देख बुढापा रोवन लागया, ना चलता जोर कती।
फिर करता हाहाकार जीव, मेरी कैसे हो गति।।

साहेब दूर नहीं है दूर, बनो शब्द सती।
कहे ब्रह्मानंद सत्य आनंद बोलो, तज दो झूठ कति।।

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